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कविता

काशी में शव

श्रीकांत वर्मा


तुमने देखी है काशी?
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव -
उसी रास्ते
आता है शव!

शवों का क्या
शव आएँगे,
शव जाएँगे -

पूछो तो, किसका है यह शव?
रोहिताश्व का?
नहीं, नहीं,
हर शव रोहिताश्व नहीं हो सकता

जो होगा
दूर से पहचाना जाएगा
दूर से नहीं, तो
पास से -
और अगर पास से भी नहीं,
तो वह
रोहिताश्व नहीं हो सकता
और अगर हो भी तो
क्या फर्क पड़ेगा?

मित्रो,
तुमने तो देखी है काशी,
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव
उसी रास्ते
आता है शव!
तुमने सिर्फ यही तो किया
रास्ता दिया
और पूछा -
किसका है यह शव?

जिस किसी का था,
और किसका नहीं था,
कोई फर्क पड़ा ?

 


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